भारतीय संविधान की प्रस्तावना - आत्मा, कुंजी और दर्शन || Preamble to the Indian Constitution – Soul, Key and Philosophy

 

भारतीय संविधान की प्रस्तावना - आत्मा, कुंजी और दर्शन

तथ्यों को समूह में बाँटकर याद करने की अनोखी विधि 




प्रस्तावना, जिसे पंडित नेहरू ने **उद्देश्य संकल्प** के रूप में पेश किया था, संविधान का सार (essence) है। इसे समझने के लिए, हम इसे तीन मुख्य घटकों में बाँटते हैं:

1. प्रस्तावना के मुख्य घटक (The Components)

प्रस्तावना में निहित प्रमुख शब्द और उनके अर्थ:

  • **संविधान के स्रोत:** "हम भारत के लोग" से स्पष्ट है कि संविधान अपनी शक्ति **भारत की जनता** से प्राप्त करता है।
  • **भारतीय राज्य की प्रकृति:** भारत एक **संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य** है।
  • **संविधान का उद्देश्य:** नागरिकों को **न्याय, स्वतंत्रता, समानता, और बंधुत्व** सुनिश्चित करना।
  • **संविधान अपनाने की तिथि:** 26 नवंबर, 1949।

2. न्याय, स्वतंत्रता और समानता (The Triple Pillars)

प्रस्तावना में उल्लिखित नागरिकों के लिए सुरक्षा के प्रावधान (संख्या याद रखें):

🔴 न्याय (Justice) - 3 प्रकार

  • सामजिक
  • आर्थिक
  • राजनीतिक

🔴 स्वतंत्रता (Liberty) - 5 प्रकार

  • विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास
  • आस्था, और उपासना

🔴 समानता (Equality) - 2 प्रकार

  • प्रतिष्ठा
  • अवसर की

3. महत्वपूर्ण संशोधन और सर्वोच्च न्यायालय के मामले (Cases)

प्रस्तावना को लेकर कानूनी स्थिति और संशोधन कब किया गया:

  • **42वाँ संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1976:** इस संशोधन द्वारा तीन नए शब्द जोड़े गए:
    • **समाजवादी**
    • **धर्मनिरपेक्ष**
    • **अखंडता**
  • **बेरुबारी यूनियन केस (1960):** सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि प्रस्तावना संविधान का **हिस्सा नहीं है**।
  • **केशवानंद भारती केस (1973):** इस निर्णय ने बेरुबारी केस को पलट दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि प्रस्तावना संविधान का **हिस्सा है**, और इसमें संशोधन किया जा सकता है, बशर्ते **मूल ढाँचा (Basic Structure)** न बदला जाए।

✅ प्रस्तावना को **"संविधान की कुंजी" (Key to the Constitution)** भी कहा जाता है, क्योंकि यह इसके निर्माताओं के दर्शन को दर्शाती है।


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